क्या किसी हत्यारे के हाथ में पड़ जाने से ये अच्छा नहीं की मैं किसी वासनादाग्ध औरत के सपनो में उलझा रहू?
जरा इन आदमियों की आँखों में देखो, जो कह रही हैं की वे औरत के सामने झूठ बोलने से बेहतर काम अभी तक नहीं खोज पाए| उनकी आत्मा की तली में गन्दगी और सडन पल रही है| अफ़सोस की उस सडन को भी वो नहीं जी सकते|
मैं नहीं कहता की तुम उस ब्रम्हचर्य का पालन करो, जो कुछ लोगो के लिए मर्यादा है; लेकीन वास्तव में वो गुनाह है| वासना के कुत्ते को अगर गोस्त न मिले, तो वह आत्मज्ञान के एक कण के लिए रिरियाता है|
तुम्हारी आँखों में निर्ममता है और तुम्हारी वासना ही है, जिसे तुम समझते हो की तुम लोगो के साथ दुःख के भागी होने जा रहे हो|
जिनके लिए ब्रम्हचर्य मुश्किल है, उन्हें यह छोड़ देना चाहिए|
नीत्शे (जरथुस्त्र ने कहा से उद्घृत)
जरा इन आदमियों की आँखों में देखो, जो कह रही हैं की वे औरत के सामने झूठ बोलने से बेहतर काम अभी तक नहीं खोज पाए| उनकी आत्मा की तली में गन्दगी और सडन पल रही है| अफ़सोस की उस सडन को भी वो नहीं जी सकते|
मैं नहीं कहता की तुम उस ब्रम्हचर्य का पालन करो, जो कुछ लोगो के लिए मर्यादा है; लेकीन वास्तव में वो गुनाह है| वासना के कुत्ते को अगर गोस्त न मिले, तो वह आत्मज्ञान के एक कण के लिए रिरियाता है|
तुम्हारी आँखों में निर्ममता है और तुम्हारी वासना ही है, जिसे तुम समझते हो की तुम लोगो के साथ दुःख के भागी होने जा रहे हो|
जिनके लिए ब्रम्हचर्य मुश्किल है, उन्हें यह छोड़ देना चाहिए|
थोडा और व्याख रहती और सन्दर्भ रहता तो ठीक रहता
ReplyDeleteसंदेश कुछ समझ नहीं आया साफ साफ..
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ReplyDelete@ राम त्यागी जी: ये नीत्शे की किताब जरथुस्त्र ने कहा का हिन्दी रुपान्तरण है, और अनुवादक या मैने अपना मत न रखने की कोशिश की है। चीजे थोडा अस्पष्ट जरूर है। लेकिन हमे इनको ऐसे हि समझना होगा। हम चर्चा कर सकते है इस विषय पर और अपने विचार रख सकते है।
ReplyDelete@ समीर लाल जी: मेरा विचार है कि "हमे दकियानूसी कामो मे फसने या कहे कि ओखली मे सिर देने के बजाय बेहतर है कि वो काम करने चाहिये जो करने का दिल करे भले हि उसकी इज्जत/स्वीक्रति समाज मे न हो, क्युकि स्वीक्रति होना न होना समय पर निर्भर करता है। स्वान्ग रचाने से बेहतर है, कि साधारनण जीवन जीआ जाये। वो काम तुरन्त त्याग देने चाहिये जो हमे पता है कि नही हो सकते। कभी कभी हमे लगता है कि हम दूसरो के हम्दर्द हो रहे है, वो गहरे मे हमारी कामना का हि एक रूप है।"