Wednesday, June 16, 2010

मैं विरहन मेरा यार मिला दो

जोगन दी अंख ते झूठ कहे, नि वो कौन जो रूठा यार मनावे |
ऐसा कोई मिल्या ढूंढ थकी, जे ज्ञान का मन वे दीप जलावे ||

मेरी अंख थकी तक तक राहां, मेरा जोगी मेरे द्वार न आवे |
नच नच पावां पड़ गए छालां, उस बैरी को ये स्वांग न भावे ||

जोगी जिस दिन मान बढ़ावेन्गे, सर सदके उस घड़ी जावांगी |
मोसे पिया जो कुछ न बोलेंगे, मैनु अंसुवन नदियाँ बहावंगी||

अंख रखके जोगी दे कदमां नु, पलकन पग धूल हटावांगी|
न पूछूंगी, न ही बोलूंगी कुछ, सर सदके यार नावावंगी ||

मैं बाट मक्के दी क्यों जोहूँ, मेरा जोगी जो मेरे घर आवे|
जब वोही बसा है तन मन में, मोहे पूजन अर्चन क्यू भावे||

छवि दिखला मोरे सांवरिया, इन नैनन की अब प्यास बुझा|
मैं कूकत बन कोयल पपिहा, दरश दिखा मोहे अब न सता||

तेरि याद में रो अँखियाँ सूखीं, मेरि ईद आई अरु न होली |
ख़त भेज मोहे कोई आस बंधा, त्यौहार से भर मेरी झोली||

होके बावरिया तेरि चाहत में, भई जोगन मैं सुध बुध भूली|
जब प्रेम पिपास जगी मन में, तेरि यादां मैं बन बन डोली||

तोसे विनती इतनी सी प्रियतम, मेरि जान रहे दर्शन दीजो|
जन्नत चाहु न ही स्वर्ग प्रिये, मोहे ऐ ही जनम अपना लीजो||

जो मैं हार गयी कल जीत गया, मोहे माफ़ मेरे जीवन कीजो|
मोरी जान मोरा दिल अर्पण है, इस जोगन को ..............||

राम

Motivated from Heer Varish Shah & Ameer khushro

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