Sunday, July 12, 2009

बस चारो तरफ़ अँधेरा है
दिल में किसी का बसेरा है
हम आस लगाये बैठे हैं
तू प्यार के दीप जलाएगी

हम भी मुस्काया करते थे
पर एक जमाना बीत गया
इस आस में बातें करते है
तू लवों पे फूल खिलाएगी

मंजिल की परवाह किसे अब
रस्ता कब का हम भूल चुके
अब तो इस आस से चलते हैं
तू कदम से कदम मिलाएगी

रहा नही जाएगा हमसे
अब भी गर देर लगायेगी
छोड़ चलेंगे दुनिया को
जो हमसे नजरें चुरायेगी

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