सीखी है हमने शर्म उनसे शिकायत करके
हम चले आए यहाँ ख़ुद से बगावत करके
उनकी बेसब्र निगाहें ये कहा करती हैं
जियोगे चंद ही दिन हमसे शराफत करके
हमें यकीं है बहार आएगी इनायत करके
एक हसरत भरी निगाह तो दो पीछे मुडके
वो घड़ी जिसका रहा इन्तजार सदियों से
क्या ख़बर जायेगी यूँ हमें रुसवा करके
राम
हम चले आए यहाँ ख़ुद से बगावत करके
उनकी बेसब्र निगाहें ये कहा करती हैं
जियोगे चंद ही दिन हमसे शराफत करके
हमें यकीं है बहार आएगी इनायत करके
एक हसरत भरी निगाह तो दो पीछे मुडके
वो घड़ी जिसका रहा इन्तजार सदियों से
क्या ख़बर जायेगी यूँ हमें रुसवा करके
राम
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