Tuesday, July 7, 2009

जो जस करे सो तस फल चाखा

धन प्रतिष्ठा अंहकार से
निर्मल जीवन गंदलाता है,
संघर्ष शील आंखों को कब
अपनों का सपना भाता है,
हम रहेंगे चलते अपनी राहें
तुम अपनी मंजिल देखोगे,
पर जीवन से जीवों का रिश्ता
तोड़ कहाँ कोई पाता है,
तुम जैसे हो वैसे रहना
पर रुकना मत मंजिल पाकर,
जिनको जानो वो तेरे
है
उन्हें काम तुम्हारा भाता है |

राम

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