बहे जा रहे धार में लेकिन, कहते अभी हम सफ़र में हैं;
कुछ करने का तो होश नहीं, बतलाते अभी के जोश में हैं;
भवंर में डूबे बुरी तरह, समझाते गहराई है कुछ कम;
फिसल रहे हैं पैर जमी पे, बस हवा से हाथ मिलाते हैं;
बर्बाद हुए हम तरह तरह, अपनों से आँख चुराते हैं;
कसमें लेते भुल जाने क़ी, पर दिल में उन्हें बिठाते हैं|
Ram
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