बे खबर हो चले थे, कोई साथ नहीं मेरे;
तेरी चाह में हम, अब तक रहे सफ़र में;
मिलेगी कहीं तू कभी, ये तो नहीं पहचानते;
हैं गम कई जीवन में, मिलेंगी कभी खुशियाँ;
हांथो में होगा अपने, आँचल तेरा सुहाना;
ये ख्वाब हो चले हैं, हकीकत नहीं मानते;
अब हरकतें भी अपनी, मनहूस हो चली हैं;
जिस पर नजर गयी है, वो तारा नहीं रहेगा;
हमको खबर है लेकिन, लोग नहीं मानते|
Ram
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