बहुत खूबसूरत हैं दुनिया के मेले
सम्हल जा ओ प्यारे है चलना अकेले ;
जो थक कर रुकेगा, थाम उंगली चलेगा
मिलेगी न मंजिल, सफ़र में ही रहेगा
सम्हल जा ओ प्यारे ...
गीत जो हैं लुभावन वो तेरे नहीं हैं,
सुर सजते जो दिल पर वो अमृत न देंगे,
तुझे प्यासा तट तक है चलना अकेले,
चाहे ठोकरें ये तेरि जान ले लें,
सम्हल जा ओ प्यारे...
पहुंचकर तू मंजिल न खुद को भूल जाना,
मेरी याद आने पे न आंसू बहाना, अन्यथा
कुछ ख्वाहिशें उठेंगी अरमान भी जागेंगे
मैं आशा करुँगी मुझे साथ ले ले
सम्हल जा ओ प्यारे...
Ram
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