आज चांदनी भी कम थी, हमने सोचा वो आयेंगे;
वो डालें हम पे एक नजर, फिर दिल को हम बहलाएँगे;
इसी लिए उनकी राहों में, फूल नहीं बिखराए थे;
पलकें अपनी झुकी रहीं, वो उन्हें मसलकर चले गए;
हम चुपके से फिर लेट गए, आँखों ने सागर भर डाला;
दिल तनहा सा था दूर पड़ा, एक आह उठी और दर्द हुआ;
वो क्या जानें क्या बात हुई, सुबह खिली तब पता चला;
जो प्यार पारी से करता था, अब वो आवारा नहीं रहा;
Ram
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