बस चारो तरफ़ अँधेरा है
दिल में न किसी का बसेरा है
हम आस लगाये बैठे हैं
तू प्यार के दीप जलाएगी
हम भी मुस्काया करते थे
पर एक जमाना बीत गया
इस आस में बातें करते है
तू लवों पे फूल खिलाएगी
मंजिल की परवाह किसे अब
रस्ता कब का हम भूल चुके
अब तो इस आस से चलते हैं
तू कदम से कदम मिलाएगी
रहा नही जाएगा हमसे
अब भी गर देर लगायेगी
छोड़ चलेंगे दुनिया को
जो हमसे नजरें चुरायेगी
दिल में न किसी का बसेरा है
हम आस लगाये बैठे हैं
तू प्यार के दीप जलाएगी
हम भी मुस्काया करते थे
पर एक जमाना बीत गया
इस आस में बातें करते है
तू लवों पे फूल खिलाएगी
मंजिल की परवाह किसे अब
रस्ता कब का हम भूल चुके
अब तो इस आस से चलते हैं
तू कदम से कदम मिलाएगी
रहा नही जाएगा हमसे
अब भी गर देर लगायेगी
छोड़ चलेंगे दुनिया को
जो हमसे नजरें चुरायेगी