Saturday, March 26, 2011

झूठा सच

वो ही तो है मेरा दर्पण
करती हूँ दिल उनको अर्पण

मान सम्मान उन्ही चरणो में
स्वीकारें मेरा पूर्ण समर्पण

वो मेरा सच वो सर्वोत्तम
भूलूं उन्हें तो निकले ये दम

सुबह उन्ही से साँझ उन्ही से
वही तो हैं मेरे सच्चे हमदम।


..time passes..


तू झूठा तेरा दर झूठा
वचन थे तेरे कपट भरे

छल प्रपंच से मुझको लूटा
कुत्ते की तू मौत मरे

दिल से पूजूं राम को मैं तो
सर्वनाश तेरा हो जाये

मुझको धोखा देने वाले
चैन कभी भी तुझे आये।

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