कानपुर, प्रतिनिधि : बच्चों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। मासूम बचपन पर इन 'गिद्धों' ने इस तरह निगाह गड़ा रखी है कि बच्चे स्कूल से घर तक, कहीं भी महफूज नहीं हैं।
नगर में वहशीपन की शिकार दिव्या, नीलम, वंदना, आकांक्षा, किरन, प्रीती जैसी लड़कियों की फेहरिस्त तो लंबी होती जा रही है। इसके साथ ही मासूमों का भी बचपन शहर में खतरे से खाली नहीं रह गया है। सितंबर 2010 में स्कूल में दिव्या संग हुआ अमानवीय कृत्या लोग शायद ही भूल सकेंगे। मासूम संग स्कूल में हुए दुष्कर्म के बाद उसकी छोटी बहन में इतनी दहशत है कि उसने स्कूल से ही मुंह फेर लिया। नवंबर में बर्रा में एक ट्यूशन पढ़ाने वाले वहशी ने मानव अंग पढ़ाने के नाम पर मासूम को शिकार बनाने की कोशिश की। 2011 जनवरी में चकेरी के एक स्कूल में गेम्स टीचर ने प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर स्कूल में छुंट्टी के दिन बुलाकर गलत काम किया। इसी दिन नौबस्ता में एक डांस टीचर ने कक्षा तीन के मासूम को कई दिनों तक हवस का शिकार बनाया। अप्रैल में कार सवार दरिंदों ने 12 साल की मासूम को अगवा कर अपनी हवस मिटाई। इसी तरह बिबियापुर में कक्षा एक की बच्ची संग दुष्कर्म हुआ। इन सभी घटनाओं में शिकार मासूमों को हवस का शिकार बनाने वाले उन पर काफी समय से निगाह बनाये हुए थे।
शाबाश इंडिया :(
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