Friday, March 11, 2011

बस दो मोती आशाओं के, उसने तो मुझसे चाहे थे|
जीवन के अनुभव से मैंने, जो चुने सहेजे रक्खे थे|
ठहरा मैं लोभी कामी अधम, अरमानो से दूषित खेल किया।
वादा कर नैन बसाने का, अपमान की नरक में झोन्क दिया।


to be completed

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