विरह न हो गर जीवन में तो, प्रेम समझ में आये न
खुले आँख घड़ियाँ रहते गर, दुखद स्वप्न डरपाए न
साहस हो जग से लड़ने का, विपदा खड़ी रुलाये न
अंकुश रक्खा गर भावोँ पर, कसमे वादे भरमायें न
विश्वास अटल हो अपनो पर, तो दुश्मन लाग लगाये न
जीवन जीना गर कला बने जो, मौत का खौफ सताए न
स्वीकृत हो गर स्वयं की त्रुटि, अपनो से घृणा लुभाए न
स्वच्छ रहे जो दिल अपना तो, कोई कभी छल पाए न।
खुले आँख घड़ियाँ रहते गर, दुखद स्वप्न डरपाए न
साहस हो जग से लड़ने का, विपदा खड़ी रुलाये न
अंकुश रक्खा गर भावोँ पर, कसमे वादे भरमायें न
विश्वास अटल हो अपनो पर, तो दुश्मन लाग लगाये न
जीवन जीना गर कला बने जो, मौत का खौफ सताए न
स्वीकृत हो गर स्वयं की त्रुटि, अपनो से घृणा लुभाए न
स्वच्छ रहे जो दिल अपना तो, कोई कभी छल पाए न।
ram
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