Friday, September 7, 2012

डॉक्टर भगवान की paracetamol

बस एक हफ्ते के अन्दर मुझे असिस्टेंट कमांडेंट की शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए दिल्ली जाना था. महीने भर से उसी का प्रयास कर रहा था और पूरी तरह से तैयार भी था. हिन्दुस्तान में रहने वाली युवा पीढी जानती है कि केन्द्रीय सरकार के अधीन नौकरी पाने के लिए कितने पापड बेलने पड़ते हैं. मैं उज्जवल भविष्य से बस एक कदम दूर अपने माता - पिता के सपनो के महल को साकार कर रहा था. अचानक एक हफ्ते पहले मुझे हल्का सा बुखार आने लगा, दूसरे दिन तक ठीक नहीं होने पर नजदीकी मेडिकल स्टोर से दवा ली तो साथ में एक हफ्ते आराम करने की सलाह भी मुफ्त मिली थी. एक हफ्ते का समय न था मेरे पास तो अगले दिन डॉक्टर के पास (इलाहाबाद) शहर के एक प्रसिद्द अस्पताल जा पहुंचा. सरदर्द, उल्टी, दस्त, बदन दर्द कुछ भी नहीं था. डॉक्टर की २ मिनट की तिरस्कार पूर्ण द्रष्टि पाने के लिए 200 रूपये फीस दी. और उस दो मिनट में उसने कुछ रटे हुए से  प्रश्न बुदबुदाए और बिना मेरी बीमारी के बारे में जिज्ञासा के तमाम तरह के टेस्ट लिख डाले. ८ किस्म की खून की जांच, मूत्र की जांच और ultrasound ( लगभग 2000 रुपये). साथ ही कुछ दवाइयां भी लिखीं (450 रुपये). मैंने उसे अपनी सारी परिस्थिति बतायी किन्तु कोई प्रतिक्रया न पा सका. अगले दिन तक मेरी स्थिति और दयनीय हो चुकी थी. मैंने कुछ जागरूकता दिखाई तो पता चला कि उन दवाइयों में से कोई गैस की है कोई सर दर्द की और कोई किसी और मर्ज की  किन्तु बुखार की एक भी दवा न थी. दूसरे दिन डॉक्टर मिले नहीं किन्तु सारी रिपोर्ट नकारात्मक थीं (जिसका मुझे पूर्वाभास था), हालत और बिगड़ी, सर्दी जुकाम, खांसी और सर दर्द सब सुरु हो गया, तीसरे दिन डॉक्टर से मिला (200 रूपये फीस फिर) तो उसने कहा "कोई खास बुखार थोड़े था तुमको, paracetamol नहीं ले सकते थे?"

आज शारीरिक दक्षता परीक्षा की तारीख है. दिल्ली न जा कर शहर से दूर अपने गाँव में, मैं बिस्तर पर लेटा हूँ. मेरी माँ मेरे लिए खिचडी बना रही है और दरवाजे के बाहर रखी कचरे की टोकनी में पडी मेरी वर्षों की मेहनत पूरे घर में दुर्गन्ध फैला रही है....

No comments:

Post a Comment