लम्बे समय तक मुझे लगता था कि आजादी के बाद देश में शायद ही कोई महानायक हो
सकता है. वैसे, जयप्रकाश नारायण ने मेरे जन्म से पहले ही मुझे झुठलाया था.
किन्तु, हाल ही में देश में कुछ लोगों ने सुनहरा मौका गँवा दिया. अगर कोई
भागे न होते, और कोई उठे न होते तो वो शायद महानायक होते. जीवन की लिप्सा
ने अमरत्व पर विजय पायी और कल के उद्धारकर्ता आज धोबी के कुत्ते हो गए. कल
दिल दे दिया था ..... कल वोट न दूंगा. माफ़ करना जतिन.... बस ऐसे ही हो गए
हम.
No comments:
Post a Comment