Monday, January 19, 2015

राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान

राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान को गति देने के लिए सफाई अभियान के कई चरणो में आमूलचूल परिवर्तन किये गए हैं। आम भारतीयों के कचरे से असीम लगाव के कारण, हाल के दिनों में, सफाई करते नेताओं पर हुए हिंसक हमलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी थी। तमाम नेताओं को अपनी कुर्सियां बचाने के लिए या तो अपने साफ़ सुथरे दफ्तर पर ही कूड़ा फेंक कर सफाई वाली तस्वीरें खिंचानी पडी थीं, या जेड सुरक्षा के बीच झाड़ू चलाना पड़ रहा था। आजादी के बाद से भारत के एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र होने के कारण, एवं उच्चतम न्यायालय की शह पर, मैला ढोने वाली जातियों ने अपनी सुविधानुसार जातिनाम अपग्रेड कर लिए थे या अन्य धर्मों का रुख किया था। अतः स्वच्छता अभियान की कुंद होती धार को गति देने के लिए तमाम दबे कुचले विधर्मियों की घर वापसी का एक 'लघु राष्ट्रीय पुनर्मूषको भव अभियान' चलाया गया। किन्तु ये अभियान, मीडिया और नास्तिकों के ईर्ष्यापूर्ण विरोध के कारण डूब गया। इस प्रकार से राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान को अधर में लटका देख भारत सरकार ने विश्व की समस्त 'जर्मफोब' प्रजातियों को हिन्दुस्तान में अपनी रूचि को पूरा करने का अवसर दिया है। इस प्रकार भारत सरकार ने एक तीर से निम्नलिखित तीन शिकार कर कूटनैतिक बलिष्ठता का परिचय दिया है। एक: प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना को विकसित देशों का आर्थिक एवं श्रमिक सहयोग मिलेगा। दूसरा: ऐसे समस्त देश भारत की महान प्राचीन संस्कृति से अभिभूत होंगे एवं जाहिलों को 'विश्वगुरु' स्वीकार करेंगे। तीसरा एवं सबसे महत्वपूर्ण: राष्ट्रवादी हिंदुओं को दर्जन भर बच्चे पैदा करने का पर्याप्त अवकाश मिल सकेगा। इसी क्रम में कल विश्व के सबसे तुच्छ, जर्मफोब देश, जापान, की एक सफाई कर्मियों की टीम देश की राजधानी पहुँच चुकी है। जापानी दूतावास ने प्रेस विज्ञप्ति निकाल कर बताया कि 'ऐसी ही टीमें देश के समस्त पवित्र शहरों की पवित्र गन्दगी हटाने के लिये शीघ्र ही पहुँच जाएंगी'। आज ही शहर में सफाई की वजह से दमा, कालरा, टीबी, पीलिया एवं हृदयघात के चार सौ बीस मामले दर्ज किये गए। वहीं दिल्ली में जापानियों द्वारा की गयी सफाई से क्रुद्ध वाराणसी के विद्वान वर्ग ने कल से आमरण अनशन की घोषणा कर दी है। प्रधानमंत्री के सफाई प्रेम से क्षुब्ध वाराणसी की जनता उनको वोट देकर हाथ मलती नजर आ रही है। जापान को भरोसा है कि भारत जाने वाले सफाई कर्मी भारतीयों से आबादी बढ़ाने की कला जरूर सीख लेंगे।