मैं भगवान हूँ। सही पहचाना। पोशाक से ही नहीं लगता, वास्तव में भी मैं खुदा
हूँ। आज कल आँख से कम दिखाई देता है इसलिए -५ नंबर का चश्मा लगाता हूँ।
क्या करूं, रोज नहाता हूँ और रोज कपडे भी धोता हूँ किन्तु दो पल के लिए भी
लोग साफ़ सुथरा नहीं रहने देते। तुम्हारा नाम ही रामलाल है न? देखो मेरी
कॉलर पे तुम्हारी उसी बेटी का खून है जिसका तुम थोड़ी ही देर पहले बलात्कार
करके आये हो। तुम्हें बदबू आती होगी; मुझे नहीं, मेरी तो आदत पड़ चुकी है।
तुम नहीं समझोगे, असल में जैसे मैं तुम्हारा भगवान् हूँ वैसे ही मेरा भी एक
भगवान् है। जब मैंने इंसान बनाया था तो मुझ पर नाराज हो उसने मुझे शाप
दिया था कि 'जो भी गन्दगी इंसान फैलाएगा उसे मुझे अपनी जीभ से साफ़ करना
होगा' अतः मैं किसी का खून पी कर नहीं आया, तुम्हारे पीछे-२ अभी तुम्हारे
घर से ही आ रहा हूँ। क्या बकवास करते हो? कोई बलि-वलि नहीं लेता था मैं।
जैसा मैंने बताया, एक दिन बूचड़ खाने की गन्दगी साफ़ करते तुम्हारे पूर्वजों
ने देख लिया था तभी से मुझे खून पे खून पिलाए जा रहे हैं। पहले जानवरों का
ही पिलाते थे फिर इंसानों का भी पिलाने लगे, तुमको पता नहीं इस खून की
उल्टियां कर कर के मैंने स्वर्ग की तमाम जगह यहीं जैसी कर दी है। नहीं -२ मेरा परमानेंट रेसिडेंस तो ऊपर का ही है किन्तु
आज कल वहाँ कम ही जाना होता है। अरे वो, मैं तो ट्रेन का इन्तजार कर रहा
था एअरपोर्ट जाना है। नहीं -२ वहाँ कोई बात नहीं हुई, मुझे दमिश्क की फ्लाईट पकड़नी
है। वहां की पिछले एक हफ्ते की गन्दगी साफ़ करनी है। अपना वाहन तो है किन्तु आज कल जॉब नहीं कर पा रहा तो कुछ आमदनी नहीं हो रही इसलिए उसका खर्चा नहीं झेल सकता।
हाँ, सो तो है किन्तु मुझे भारत-पाकिस्तान का बंटवारा आज भी याद है जब
महीनों तक मैं सो भी नहीं पाया था। इतना जहर था लोगों के खून में कि जीभ
में छाले पड़ गए थे। और ये कमर तब झुकी कि आज तक सीधी न हो सकी। फिर का मतलब क्या है? आना ही पड़ेगा, सालो तुम
लोग इतना बलात्कार ही करते हो। हाँ बे, वहाँ तो लोग मर रहे हैं न ....
यहाँ ??? मेरा मुंह मत खुलवाओ, जिस शरीर के साथ तुम खिलवाड़ करते हो न, उसे मेरी माँ ग्रहण कर लेती है। महाराष्ट्र तो जा ही रहे हो न वहाँ कुछ गुल खिलाओगे तो सेवा में उपस्थित होना ही पड़ेगा। नहीं कुछ ख़ास नहीं, बस १० दिन बाद वहाँ प्यास से मरते लोगो की लाशें फूंकनी हैं।