बस दो मोती आशाओं के, उसने तो मुझसे चाहे थे|
जीवन के अनुभव से मैंने, जो चुने सहेजे रक्खे थे|
ठहरा मैं लोभी कामी अधम, अरमानो से दूषित खेल किया।
वादा कर नैन बिठाने का, अपमान की नरक में भेज दिया।
जीवन के अनुभव से मैंने, जो चुने सहेजे रक्खे थे|
ठहरा मैं लोभी कामी अधम, अरमानो से दूषित खेल किया।
वादा कर नैन बिठाने का, अपमान की नरक में भेज दिया।
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